नई शिक्षा नीति 2020 | New Education policy

नई शिक्षा नीति एवं भारत में शिक्षा प्रणाली:
” शिक्षा रचनात्मकता प्रदान करती है, रचनात्मकता सोच विकसित करती है,
सोच से ज्ञान की प्राप्ति होती है और ज्ञान आपको महान बनाता है। ” – डॉ APJ अब्दुल कलाम
भारत में शिक्षा का इतिहास
प्राचीन काल से ही भारत में गुरुकुल आधारित शिक्षा प्रणाली का अस्तित्व रहा है। जिसने गुरु-शिष्य का संबंध स्थापित करने की व्यवस्था का विकास किया। 700 ईशा पूर्व में तक्षशिला में विश्व का पहला विश्व विद्यालय स्थापित किया गया था। जिसमें चरक, सुश्रुत, आर्यभट्ट, चाणक्य जैसे विद्वानों ने ज्ञान प्राप्त किया।
18 -19 वीं शताब्दी में राजाराम मोहन राय, ईश्वरचंद्र, ज्योतिबाफुले, गांधी जैसे विद्वानों ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किये। फिर स्वतंत्रता के पश्चात शिक्षा में अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। शिक्षा संबन्धित आयोगों व समितियों का गठन किया गया, इस सन्दर्भ में 1948 में डॉ एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग का गठन, 1952 में डॉ ए लक्ष्मी स्वामी मुदलियार की अध्यक्षता में माध्यमिक शिक्षा आयोग का गठन तथा 1964 – 66 में डॉ एस कोठारी की अध्यक्षता में भारतीय शिक्षा आयोग का गठन किया गया।
कोठारी आयोग द्वारा तीन मुख्य पहलुओं (i) आतंरिक परिवर्तन (ii) गुणात्मक सुधार और (iii) शैक्षिक सुविधाओं का विस्तार, के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 1968 तैयार की गयी। यह स्वतंत्र भारत की पहली शिक्षा नीति थी। इसने भारतीय संविधान में प्रस्तावित 6 – 14 वर्ष की आयु वर्गों के बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करने, माध्यमिक स्कूलों में क्षेत्रीय भाषाओं पर बल देने, अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाने तथा हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्वीकार करने एवं संस्कृति के विकास को बढ़ावा तथा राष्ट्रीय आय का 6 % शिक्षा पर व्यय करने की सिफारिश की।
इसके बाद 1985 में शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया था, जिसे पुनः नई शिक्षा नीति 2019 -2020 में बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया गया है। 1968 की शिक्षा नीति के बाद 1986 में भी शिक्षा नीति का निर्माण किया गया, जिसकी सिफारिशें निम्न थी –
1986 की नीति के परिणामों के आकलन हेतु 1990 में आचार्य राममूर्ति की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया, जिसकी सिफारिशों को 1986 की शिक्षा नीति में संशोधन माना जाता है। जैसे – केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की स्थापना, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना, नैतिक मूल्यों का विकास करना।
नई शिक्षा नीति 2019 – 2020 के लिए भी 2015 में TRS सुब्रमण्यम समिति तथा 2017 में K कस्तूरीरंगन समिति का गठन किया गया था।
नई शिक्षा नीति 2019 – 2020 :
(1) 35 वर्षों के इंतज़ार के बाद नई शिक्षा नीति की मंजूरी मिली है यह नई शिक्षा नीति 5 स्तंभों को ध्यान में रखकर बनायी गयी है। ये 5 स्तंभ हैं-
(i) Access (पहुंच), (ii) Equality (समानता) , (iii) Quality (गुणवत्ता), (iv) Affordability (सामर्थ्य), and (v) Accountability (जवाबदेही)
(2) उच्च शिक्षा के सकल नामांकन दर को 2035 तक 26 से 50 % तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
नई शिक्षा नीति में शिक्षकों के लिए प्रावधान:
– शिक्षकों के प्रशिक्षण पर जोर दिया जायेगा।
– 2020 तक नेशनल कॉउन्सिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन को नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड फॉर टीचर्स के लिए समान मानक तैयार करने का दायित्व सौंपा गया है।
– शिक्षकों के लिए अब न्यूनतम डिग्री बी एड की अवधि 4 वर्ष की होगी। 2 वर्ष की बी एड डिग्री भी मान्य होगी, जिन्होंने विषय विशेष में 4 साल पढाई की हो। साथ ही 1 वर्ष की बी एड डिग्री भी मान्य जिसने विषय विशेष में MA की डिग्री प्राप्त की हो।
नई शिक्षा नीति में भाषायी प्रावधान:
– किसी भाषा को अनिवार्य नहीं बनाया गया है।
– लुप्त भाषाओं को संरक्षण देने हेतु “Indian institution of translation and interpretation” बनाने का सुझाव दिया गया है।
नई शिक्षा नीति में अन्य प्रावधान:
– एम फिल कोर्स को समाप्त किया जा रहा है।
– प्रतिभा पलायन न हो इसके लिए दुनिया की श्रेष्ठ यूनिवर्सिटीज भी अब देश में अपना कैंपस बना सकती है।
– Higher education commission of India का गठन किया जायेगा : यह आयोग कानून व मेडिकल शिक्षा को छोड़कर पूरी उच्च शिक्षा की गुणवत्ता व नियमन की जिम्मेदारी संभालेंगा।
– ड्राप आउट वाले छात्रों हेतु 3 साल के अनिवार्य डिग्री कोर्स के बजाय हर बर्ष की पढ़ाई का प्रमाण पत्र दिया जायेगा, जिससे छात्र अपनी सुविधानुसार पढ़ाई कर सकेंगे।
– अगले 15 वर्षों में कोई भी कॉलेज किसी भी विश्वविद्यालय से संबद्ध नहीं रहेगा। या तो कॉलेज स्वायत्त होगा या किसी विश्वविद्यालय के अधीन होगा।
– उच्च शिक्षा में शोध व अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु ‘National Research Foundation’ नामक संस्था का गठन होगा।
– सभी Courses एवं संस्थानों की अधिकतम फीस तय करने का भी प्रावधान किया गया है।
नई शिक्षा नीति का उद्देस्य समग्र एवं बहुविषयक दृष्टिकोण से भारतीय शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन लाना है। परन्तु इस पर सभी राज्यों को दलगत राजनीति का प्रयोग न करके राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए।