What are Kinds of Majority-bahumat ke prakar
What are Kinds of Majority- bahumat ke prakar
बहुमत के प्रकार:
साथियों, जब कोई Bill या विधेयक संसद के किसी भी सदन में रखा जाता है। तो उसे पारित होने के लिए एक बहुमत की आवश्यकता होती है। कौन सा विधेयक या प्रस्ताव किस प्रकार के बहुमत से पारित होना आवश्यक है इसका उल्लेख हमारे संविधान में है। दोनों सदनों की स्वीकृति के पश्चात ही वह विधेयक राष्ट्रपति महोदय के पास कानून बनने के लिए जाता है।
हमारे संविधान में 2 प्रकार के बहुमत का ही उल्लेख किया गया है- प्रभावी बहुमत और विशेष बहुमत। परन्तु संसद के दोनों सदनों में तीसरे प्रकार का बहुमत भी अत्यधिक प्रयोग में लाया जाता है, वह है – साधारण बहुमत। इन तीनों बहुमत के बारे में आज हम जानेंगे। इसके आलावा हम यह भी जानेंगे कि कौन से विधेयक के लिए कौन सा बहुमत आवश्यक होता है ?
साधारण बहुमत (Simple Majority):
– यह सबसे अधिक प्रयोग व सबसे आसानी से पारित होने वाला बहुमत है।
– इस प्रकार के बहुमत में विधेयक को पारित होने के लिए उस सदन में उपस्थित व मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत की आवश्यकता होती है। (अर्थात P & V का 50 % +1)
उदाहरण: मान लीजिये कोई साधारण विधेयक राज्यसभा (RS) में आया तो वह कब पारित माना जायेगा ?
माना राज्य सभा में कुल सदस्य संख्या = 245
माना उस दिन सदन में उपस्थित सदस्य = 200
माना मतदान में हिस्सा लेने वाले कुल सदस्य = 180
ऐसे हालात में 180 का 50 % अर्थात ≈90 + 1 सदस्यों की सहमति होने पर ही वह विधेयक उस सदन से पारित हो जायेगा।
विधेयक, जिन्हें पारित होने के लिए साधारण बहुमत की ही आवश्यकता होती है:
निंदा प्रस्ताव, काम रोको प्रस्ताव, धन विधेयक, वित्त विधेयक इत्यादि।
2- प्रभावी बहुमत (Effective Majority):
प्रभावी सदस्य संख्या के बहुमत (50 % + 1) को प्रभावी बहुमत कहते हैं।
प्रभावी बहुमत=कुल सदस्य संख्या – रिक्तियां (त्यागपत्र, मृत्यु, सदस्यता समाप्त के कारण)
नोट – रिक्तियां एवं अनुपस्थित होने में अंतर हैं।
उदाहरण: मान लीजिये कोई प्रभावी बहुमत से पारित होने वाला विधेयक राज्यसभा (RS) में आया तो वह कब पारित माना जायेगा ?
माना राज्य सभा में कुल सदस्य संख्या = 245
माना सदन में रिक्तियां = 10
तो प्रभावी बहुमत = कुल सदस्य संख्या (245) – रिक्तियां (10) = 235
ऐसे हालात में 235 का 50 % अर्थात ≈118 + 1 सदस्यों की सहमति होने पर ही वह विधेयक उस सदन से पारित हो जायेगा।
विधेयक, जिन्हें पारित होने के लिए प्रभावी बहुमत की आवश्यकता होती है:
लोकसभा में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, राज्यसभा में उपसभापति व सभापति (उपराष्ट्रपति), विधानसभा में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, विधानपरिषद् में उपसभापति व सभापति को हटाने वाला विधेयक / प्रस्ताव।
3- विशेष बहुमत (Special Majority):
यह तीन प्रकार का होता है। तीनों में प्रस्ताव / विधेयक को पारित करने के लिए 2 / 3 सदस्यों की स्वीकृति आवश्यक होती है, परन्तु फिर भी निम्न अंतर होता है।
(i) प्रथम प्रकार का विशेष बहुमत: इसमें उपस्थित और मतदान में हिस्सा लेने वाले सदस्यों के 2 / 3 बहुमत की आवश्यकता होती है।
विधेयक, जिन्हें पारित होने के लिए इस प्रकार के बहुमत की ही आवश्यकता होती है:
अनुच्छेद-249, एवं अनुच्छेद- 312 से संबंधित प्रावधान वाले विधेयक।
Art – 249: राज्य सूची पर संसद की कानून बनाने की शक्ति।
Art – 312: अखिल भारतीय सेवा (IAS, IPS, IFS)
उदाहरण: मान लीजिये कोई इस प्रकार से पारित होने वाला विधेयक राज्यसभा (RS) में आया तो वह कब पारित माना जायेगा ?
माना राज्य सभा में कुल सदस्य संख्या = 245
माना उस दिन सदन में उपस्थित सदस्य = 200
माना मतदान में हिस्सा लेने वाले कुल सदस्य = 180
ऐसे हालात में 180 का 2/3 अर्थात 120 सदस्यों की सहमति होने पर वह विधेयक उस सदन से पारित हो जायेगा।
(ii) IInd प्रकार का विशेष बहुमत: इसमें उपस्थित और मतदान में हिस्सा लेने वाले सदस्यों के 2 / 3 बहुमत की तो आवश्यकता होती है परन्तु यह संख्या उस सदन के कुल सदस्य संख्या के आधे से कम नहीं होनी चाहिए। (अर्थात P & V का 2/3 but NOT < कुल सदस्य /2 )
विधेयक, जिन्हें पारित होने के लिए इस प्रकार के बहुमत की ही आवश्यकता होती है:
अनुच्छेद-368, एवं अनुच्छेद- 311 से संबंधित प्रावधान वाले विधेयक।
Art – 368: राज्य सूची पर संसद की कानून बनाने की शक्ति।
Art – 311: अखिल भारतीय सेवा (IAS, IPS, IFS)
उदाहरण: मान लीजिये कोई इस प्रकार से पारित होने वाला विधेयक राज्यसभा (RS) में आया तो वह कब पारित माना जायेगा ?
माना राज्य सभा में कुल सदस्य संख्या = 245
माना उस दिन सदन में उपस्थित सदस्य = 200
माना मतदान में हिस्सा लेने वाले कुल सदस्य = 180
ऐसे हालात में 180 का 2/3 अर्थात 120 सदस्यों की सहमति होने पर वह विधेयक उस सदन से पारित हो जायेगा।
(ii) IInd प्रकार का विशेष बहुमत: इसमें उपस्थित और मतदान में हिस्सा लेने वाले सदस्यों के 2 / 3 बहुमत की तो आवश्यकता होती है परन्तु यह संख्या उस सदन के कुल सदस्य संख्या के आधे से कम नहीं होनी चाहिए। (अर्थात P & V का 2/3 but NOT < कुल सदस्य /2 )
विधेयक, जिन्हें पारित होने के लिए इस प्रकार के बहुमत की ही आवश्यकता होती है:
अनुच्छेद-368, एवं अनुच्छेद- 311 से संबंधित प्रावधान वाले विधेयक।
Art – 368: संविधान संशोधन से संबंधित प्रावधान।
Art – 311: सरकारी मुख्य पदाधिकारियों को सुरक्षा।
उदाहरण: मान लीजिये कोई इस प्रकार से पारित होने वाला विधेयक राज्यसभा (RS) में आया तो वह कब पारित माना जायेगा ?
माना राज्य सभा में कुल सदस्य संख्या = 245
माना उस दिन सदन में उपस्थित सदस्य = 200
माना मतदान में हिस्सा लेने वाले कुल सदस्य = 180
ऐसे हालात में 180 का 2/3 अर्थात 120 सदस्यों की सहमति होने पर भी वह विधेयक उस सदन से पारित नहीं हो सकेगा, क्योंकि कुल सदस्य संख्या 245 है जिसका आधा 122.5 या ≈123 है।
(iii) IIIrd प्रकार का विशेष बहुमत: इसमें सदन के कुल सदस्य संख्या के 2 / 3 बहुमत की तो आवश्यकता होती है।
विधेयक, जिन्हें पारित होने के लिए इस प्रकार के बहुमत की ही आवश्यकता होती है:
अनुच्छेद- 61: राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया से संबंधित विधेयक।
उदाहरण: मान लीजिये कोई इस प्रकार से पारित होने वाला विधेयक राज्यसभा (RS) में आया, तो वह कब पारित माना जायेगा ?
माना राज्य सभा में कुल सदस्य संख्या = 245
ऐसे हालात में 245 का 1/2 अर्थात 122.5 या ≈123 सदस्यों की सहमति होने पर ही वह विधेयक उस सदन से पारित हो सकेगा।
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