COVID 19 aur Online Education / ऑनलाइन शिक्षा
COVID 19 Aur Online Education / कोविड 19 और ऑनलाइन शिक्षा
स्कूल जाकर विद्या (Education) अर्जन करने की परंपरा भारत हेतु अत्यंत प्राचीन है। समय परिवर्तन के साथ – साथ कई तरह के परिवर्तन हुए जैसे – स्कूल ड्रेस, बुक्स इत्यादि। परन्तु स्कूल जाकर शिक्षकों के सामने शिक्षा प्राप्त करना आज भी नहीं बदला था, लेकिन कोरोना वायरस जैसी बीमारी ने स्कूल जाकर शिक्षा प्राप्त करने की पद्धति पर विराम लगा दिया, तथा मज़बूरी में हमें शिक्षा पर ब्रेक न लगे इस कारण ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प चुनना पड़ा। ऑनलाइन शिक्षा में जो चीज आवश्यक है वो है स्मार्टफोन, डेस्कटॉप, लैपटॉप, पॉमटॉप, टैबलेट या कोई अन्य इंटरनेट एक्सेस करने वाला उपकरण। परन्तु इसमें भी कम चुनौतियां नहीं है –
१ – बिजली कटौती:
सभी गावों तक बिजली तो पहुंच गयी है, परन्तु कटौती को रोकना आज भी बड़ी चुनौती है। तो एक कहावत है कि बिजली तो है पर आती नहीं। सरकार किसी की भी आये, ग्रामीण भारत में बिजली का कट होना किसी से छुपा नहीं है। तो ऐसे हालातों में ऑनलाइन शिक्षा का सपना साकार नहीं हो सकता, इसे धरातल पर तभी किया जा सकता है जब सभी जगह बिन बताये कटौती की परंपरा ख़तम हो।
२ – स्मार्टफोन तक सभी की पहुंच न होना:
Newzoo’s 2019 Global Mobile Market रिपोर्ट (Source : https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_countries_by_smartphone_penetration ) के अनुसार भारत की 1,368.7 Million की जनसंख्या में सिर्फ 36.69% भारतीय स्मार्टफोन का उपयोग करते है। भारत विश्व में 18 वें नंबर पर आता है। भारत में अभी भी एक बहुत बड़ी संख्या या तो सामान्य फ़ोन उपयोगकर्ताओं की है या वो कोई भी फ़ोन यूज़ नहीं करते। तो ऑनलाइन शिक्षा तक उनकी पहुंच बेमानी प्रतीत होती है।
३- कंप्यूटर तक सभी की पहुंच न होना: अब कुछ बुद्धजीवी भाइयों का कहना होगा के स्मार्टफ़ोन के आलावा भी तो अन्य विकल्प है तो मै ये बताता चलूँ ११ % परिवारों के पास ही किसी प्रकार की कंप्यूटर डिवाइस उपलब्ध है।
४ – इंटरनेट तक पहुंच सीमित होना : भारत के कुल २४% परिवारों के पास ही इंटरनेट है।
५ – अत्यंत गरीबी: २० % सबसे गरीब परिवारों में से सिर्फ 2.7 % ही कंप्यूटर का इस्तेमाल करते है, और 8.9% ही इंटरनेट सेवा का इस्तेमाल करते है।
६ – क्षेत्रीय असमानता:
बिहार में 4.6% परवारों के पास कंप्यूटर उपलब्ध है तो वहीं केरल में 23.5%, दिल्ली में 35% परवारों को किसी भी प्रकार की कंप्यूटर डिवाइस उपलब्ध है। इसी प्रकार कई ऐसी क्षेत्र व राज्य है जहाँ बहुत पिछड़ापन है वहाँ ऑनलाइन शिक्षा संभव ही नहीं है।
७ – अन्य कारण:
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के अनुसार २०१९ में ६*७% पुरुष इंटरनेट का इस्तेमाल करते है जबकि महिलाएं मात्र ३३%। ग्रामीण भारत की बात करें तो यहाँ पुरुष ७२ % व महिलाएं २८% इंटरनेट का इस्तेमाल करते है।
८ – इंटरनेट की गुढ़वत्ता सुदृढ़ न होना-
कहने को तो 4G लगभग पुरे भारत में अपने पैर पसार चुका है परन्तु स्पीड के मामले में सभी इंटरनेट प्रदाता कम्पनियाँ नेटवर्क पर दवाब का वहाना बनाती है। पहले जो 1 GB महीने भर चल जाता था अब 1 दिन भी मुश्किल से चल पाता है। निश्चित ही उपयोग पर भी निर्भर करता है परन्तु पारदर्शिता की भी कमी है। ऐसी स्थिति में ऑनलाइन पढने में बहुत डेटा की जरुरत होती है वो भी कम से कम 600 KBPS से अधिक बैंडविड्थ स्पीड होना आवश्यक है।
चुनौतियों में उज्जवल भविष्य :
उपरोक्त तमाम चुनौतियों का बावजूद ऑनलाइन शिक्षा को नकारा भी नहीं जा सकता क्योंकि यह समय की मांग है और इससे बेहतर अन्य विकल्प भी नहीं दिख रहा है। कहते भी है जहाँ चाह, वहाँ राह। शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव एक अवसर की भांति होते है ये व्यक्तित्व में निखार पैदा करते है। अतः हमें इस ऑनलाइन शिक्षा के विकल्प को COVID 19 महामारी के दौर में एक शैक्षिक चुनौती के रूप में स्वीकारना ही पड़ेगा। चाहे आज या कल स्वीकारें। जब हम इसे स्वीकार कर लेंगे तो यह निश्चित ही एक अबसर भी सिद्ध होगा। ऑनलाइन शिक्षा के अनगिनत लाभ भी है जिनमे से कुछ इस प्रकार है-
१ – कामकाजी लोगो के लिए ऑनलाइन शिक्षा वरदान की तरह है।
२ – देश में तेजी से बढती इंटरनेट और स्मार्टफोन की सघनता देश में ई-लर्निंग की उम्मीद को बढ़ाती है।
३ – इसमें समय और धन की बचत होगी।
४ – उद्योगों हेतु कौशलयुक्त शिक्षा से जुड़े युवाओं हेतु सुअवसर प्राप्त होंगे। etc.
सरकार द्वारा किये गए प्रयास :
१ – नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी(NDL), स्वयं, स्वयंप्रभा, दीक्षा पोर्टल .
२ – ग्रामीण क्षेत्रों में “एक कक्षा एक चैनल” कार्यक्रम .
३ – PM ई विद्या .
४ – IIT, NEET / नीट की तैयारी हेतु ‘अभ्यास एप’.
५ – दिव्यांगो के लिए ऑडियो बुक्स और रेडियो कार्यक्रम .